Monday 17 November 2014

हाइकु

चमका रवि
खिला अमलतास
थिरके पक्षी
रवि प्रदीप
तिमिर का प्रहरी
तेजसमयी
तपता रवि
जले विटप तन
गर्म ऋतु में
निकल आया
सूरज मुखी थाल
रश्मि के साथ
बीती रजनी
प्रकट रश्मिरथ
बिखरी रोली
शान्ति पुरोहित

Tuesday 30 September 2014


माता कुष्मांडा 
सूर्य सम दर्पित 
माँ जगदम्बा

भारत जन 
मिल करे आरती 
जगदम्बा की

षष्ठ्म रूप
ब्रज अधिष्ठात्री माँ 
माँ कात्यायनी

विभिन्न रंग 
पांडाल सजावट 
भक्ति के संग

माँ जगदंबा
हिम गिरी नंदनी 
आदि स्वरूपा

पदमासना 
आदि स्वरूपा माता 
स्कन्धा भवानी

Wednesday 17 September 2014

नवरात्री पर माँ के चरणों में प्रेषित मेरे कुछ हाइकु
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1
श्वेत मुकुट
सिंदूरी सोभामयी
देवी कल्याणी
2
मात भवानी
श्रद्धा ममतामयी
भक्त वत्सला
3
मातु भवानी
दृग ममता पानी
अधर दया
4
मातु भवानी
हे संताप तारिणी
स्नेह दायिनी
5
जगत माता
रक्षा करो जननी
शरण पड़े
6
माता के द्वार
कर कुसुम हार
वंदना गाती
7
धरा स्वामिनी
महिसासुर नाश
जग तारिणी
8
हे जगदम्बे
 कर खड्ग धारिणी
भाल सिंदूर
**********************शान्ति पुरोहित 

Thursday 28 August 2014

प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता गणेश उत्सव पर मेरे कुछ हाइकु

गौरी सुवन 
मुद मंगल दाता 
गजाननाय 
2
लम्बोदराय
सुख समृद्धि दाता
वक्रतुंडाय
3
विद्या वारिदी
यश बुद्धि विधाता
हे गणपति

4
शंकर सुत 
करूं तेरी वन्दना 
पार लगाना 

प्रथम पूज्य  
रणक धाम विराजे 
दूर्वा से खुश
**********************शान्ति पुरोहित 

Wednesday 27 August 2014

हाइकु कविता

हाइकु कविता 
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प्यासे परिंदे 
धरा पर तरसे 
सूखे तलैया 
मधुप दल 
मृणाल वृंत पर 
गीति मुखर 
कांपते हाथ 
दुआओ का सागर 
बुजुर्ग जन 
तंगी विभूति 
कीचड़ में कमल 
सदा खिलता 
रक्तिम रवि 
अस्ताचल की ओर 
क्लांत श्रांत सा 
****************शान्ति

Monday 11 August 2014

                                   रक्षा बंधन पर लिखे मेरे तांका



शान्ति पुरोहित 
1
रक्षा बंधन 
बहन की उमंग 
भाई माँ जाया 
लेती बलाए लाखो
सलामत हो भैया 
2
पवित्र धागा 
भाई कलाई बांधे
रक्षा की आस 
स्नेहिल आस्था भैया 
अनूपम सौगात

Friday 14 February 2014

माँ वारि वारि 
तोतली बोले बालक 
उपजे नेह 

मन के पुष्प 
अर्पित प्रियतम 
छलका प्यार

Thursday 13 February 2014

       (३)                                                                                                                                                          उचटा मन
खाली खाली सा सूना
जाने क्या हुआ
       (4)
मै हूँ दर्पण
जैसा है वैसा दिखे
हूँ समर्पित
       (5)
स्वचिंतन यूँ
बढ़े यश ब्रह्म का
फैले पताका
      (6)
पीड़ा प्रेमी की
कर्म फल के नाम
भाग्य की भट्टी

       1                                                                                                                                                            गृह गृहित
मानुष दुःख देखे
ईश् विमुख
       2
वैलेंनटाइन
स्नेह सबके लिये
प्यार का दिन