Wednesday 27 August 2014

हाइकु कविता

हाइकु कविता 
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प्यासे परिंदे 
धरा पर तरसे 
सूखे तलैया 
मधुप दल 
मृणाल वृंत पर 
गीति मुखर 
कांपते हाथ 
दुआओ का सागर 
बुजुर्ग जन 
तंगी विभूति 
कीचड़ में कमल 
सदा खिलता 
रक्तिम रवि 
अस्ताचल की ओर 
क्लांत श्रांत सा 
****************शान्ति

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