(३) उचटा मन
खाली खाली सा सूना
जाने क्या हुआ
(4)
मै हूँ दर्पण
जैसा है वैसा दिखे
हूँ समर्पित
(5)
स्वचिंतन यूँ
बढ़े यश ब्रह्म का
फैले पताका
(6)
पीड़ा प्रेमी की
कर्म फल के नाम
भाग्य की भट्टी
खाली खाली सा सूना
जाने क्या हुआ
(4)
मै हूँ दर्पण
जैसा है वैसा दिखे
हूँ समर्पित
(5)
स्वचिंतन यूँ
बढ़े यश ब्रह्म का
फैले पताका
(6)
पीड़ा प्रेमी की
कर्म फल के नाम
भाग्य की भट्टी
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